NEWS UPDATE- 'नानी तेरी मोरनी को मोर ले गए बाकी जो बचा था काले चोर ले गए', इस गाने के बोल को सच करती दिखाई दे रही है तेलंगना की रेड्डी सरकार , 1 सवाल ?

 


दुनियाभर में विकास के नाम पेड़ों और जंगलों की अंधाधुंध कटाई हो रही है। विकास इस कदर हो रहा हैं की आईटी पार्क बनाने के लिए अब ४०० एकड़ का ग्रीन बेल्ट को ही काटने के लिए अब तेलंगना की रेड्डी सरकार पूरी तरह से तैयार हो चुकी हैं।  यही नहीं उसको रोकने आये छात्रों पर लाठियां तक चलवा दी।  


पिछले चार दिनों से हैदराबाद में तेलंगाना सरकार और हैदराबाद यूनिवर्सिटी के छात्रों के बीच एक टकराव हो रहा और इस टकराव का कारण है। ग्रीन बेल्ट की वह जमीन जहां अब राज्य सरकार पेड़ों को काटकर एक आईटी पार्क बनाना चाहती है

यह जमीन  हैदराबाद यूनिवर्सिटी के पास है और इसी यूनिवर्सिटी के छात्र इस जमीन पर लगे पेड़ों को काटने का अब विरोध कर रहें हैं विरोध कर रहे लेकिन कांग्रेस की सरकार का कहना है कि ग्रीन बेल्ट इस क्षेत्र की 400 एकड़ जमीन पर सरकार का ही अधिकार है और यह कोई घोषित जंगल नहीं लेकिन छात्रों का यह कहना है कि यह जंगल है जहां अलग-अलग प्रजाति के जानवर और पेड़ है और सरकार इन्हें नुकसान पहुंचा रही है सिर्फ इसलिए क्योंकि वह यहां विकास के नाम पर इन जंगलों को उजाड़ना चाहती है सरकार के मन में लालच आ गया हैं।  

तेलंगना की रेड्डी सरकार ने धरना दे रहे छात्रों को भी लिया हिरासत में 


4 दिन पहले जब स्थानीय प्रशासन ने यहां के पेड़ों को काटने के लिए बुलडोजर भेजे तब बड़ी संख्या में छात्रों ने इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और छात्रों का आरोप था कि जंगल के काटने से यहां रहने वाले जानवरों का घर छिन जाएगा लेकिन पुलिस ने इस विरोध प्रदर्शन को खत्म करने के लिए 53 छात्रों को हिरासत में लेकर,  सैकड़ो पेड़ों पर अपने सामने  ही कई पेडों को कटवा दिया।

  • अब सवाल यह उठता हैं की क्या आईटी पार्क के नाम पर वहां के जानवरों का घर नहीं छीना  जा रहा है ?
  
  • राष्टीय पंछी कहे जाने वाले मोर को करुण भरी आवाज वहां के राज्य सरकार के कानों तक नहीं पहुंच पा रही हैं ?

  • आख़िर  क्यों ये सब बड़ी आसानी से होता जा रहा हैं ?

  • कब तक विकास के नाम पर देश भर में पेड़ों को कटा जायेगा ?





और ये कोई नयी बात नहीं हैं कई बार जंगलों को काट काट कर हम विकास का नाम दे रहे हैं हम क्यों भूल रहे है की पर्यावरण को असंतुलित करने का काम भी इसी विकास के नाम पर किया जा रहा हैं।  कभी छत्तीसगढ़ कभी मध्य प्रदेश तो कभी उत्तर प्रदेश तो कभी तेलंगाना विका के नाम पर आखिर कब तक हम इस तरह पेड़ों को काटते रहेंगे ?
 
सवाल ये उठता है तेलंगाना सरकार से की आपको वहां के पेड़ नहीं दिख रहे है तो कोई बात नहीं क्या उन जानवरों  की आवाजे भी नहीं सुनाई दे रही हैं आप इतना निर्दयी हो गए हैं ? विकास के नाम पर  काटना बंद करिये आप.....


एक रिपोर्ट के अनुसार 400 एकड़ 'वन क्षेत्र' की नीलामी का विरोध करने वाले लोगों के मुताबिक, इस क्षेत्र में 237 पक्षी प्रजातियां, 15 स्तनधारी जीव, एक दुर्लभ प्रजाति का स्टार कछुआ और कई अन्य वन्य जीवों का भी बसेरा है। इसके अलावा, इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण जल स्रोत भी है। 

तेलंगना की रेड्डी सरकार क्या कहती है ?


 कांग्रेस सरकार की दलील है कि इस भूमि को 'वन क्षेत्र' के रूप में कभी राजस्व विभाग के रिकॉर्ड में नहीं दिखाया गया और यह 1974 में स्थापित विश्वविद्यालय के लिए आवंटित भूमि का हिस्सा है। मई 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने इस भूमि पर सरकार के स्वामित्व को सही ठहराया था, जिसके बाद कांग्रेस सरकार ने इसकी नीलामी की प्रक्रिया शुरू की।


कभी भी वन के रूप में वर्गीकृत नहीं

इस कथन पर कि 400 एकड़ भूमि वन है, जवाब देते हुए कहा गया कि राजस्व अभिलेखों में इसे कभी भी वन के रूप में वर्गीकृत नहीं किया गया। 

कंचा का अर्थ है चरागाह या बंजर भूमि

नोट के अनुसार, "इस भूमि को कभी भी प्रासंगिक अधिनियमों के तहत वन भूमि के रूप में अधिसूचित नहीं किया गया है। इसे राजस्व अभिलेखों या वन अभिलेखों में वन भूमि के रूप में नहीं दिखाया गया है। कांचा गाचीबोवली में सुवेरी नंबर 25 की भूमि को "कांचा पोरामबोके" के रूप में वर्गीकृत किया गया है। कांचा का मतलब चरागाह/बंजर भूमि है।


ऐतिहासिक चट्टान संरचनाओं के आसपास पार्क

इसमें कहा गया है कि सरकार पर्यावरण प्रबंधन योजना (ईएमपी) के अतिरिक्त, ऐसे स्थलों के आसपास पार्क विकसित करके भूमि में ऐतिहासिक चट्टान संरचनाओं (मशरूम रॉक आदि) को नुकसान न पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है।

तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने विधानसभा में क्या कहा ?

तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने विधानसभा में इस विरो
ध को 'राजनीतिक रूप से प्रेरित' बताया और बीआरएस पर ' दुष्ट लोमड़ियों' की तरह विरोध भड़काने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, 'इस क्षेत्र में कोई बाघ या हिरण नहीं हैं, बस कुछ दुष्ट लोमड़ियां हैं, जो विकास को रोकने की कोशिश कर रही हैं।'


रेवंत रेड्डी का यह बयान आग में घी डालने का काम कर गया और छात्रों के प्रदर्शन और तेज हो गए। रविवार को पुलिस ने विरोध प्रदर्शन कर रहे 53 छात्रों को हिरासत में ले लिया, जिससे यह मुद्दा और गरमा गया।


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