" भैया मेरी टंकी फुल कर दो, पता नहीं कल पेट्रोल मिलें या ना मिलें", पेट्रोल पंपों पर लगी लंबी कतारे, जाम हो गया सड़क पढ़िए क्या हैं पूरी खबर

केंद्र सरकार के नए हिट एंड रन कानून (Hit & Run Law) को लेकर देश भर में हो रहे विरोध हो रहा है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ट्रक और टैंकर चालकों की हड़ताल के दूसरे दिन मंगलवार को पेट्रोल पंपों में फ्यूल खत्म होने तक की नौबत आ गई है।


जिसके चलते आम लोग गाड़ियों की टंकी फुल कराने के लिए पेट्रोल पंपों पर लंबी-लंबी लाइन लगाते नजर आ रहे हैं। ‘हिट-एंड-रन' (दुर्घटना के बाद मौके से भाग जाना) मामलों के लिए नए आपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत जेल और जुर्माने की सजा के कड़े प्रावधान है। इसी कड़ी में कुछ ट्रक, बस और टैंकर ड्राइवरों ने विरोध जताते हुए सोमवार को तीन दिवसीय हड़ताल शुरू कर दी।


हिट-एंड-रन  क़ानून बना इसका कारण



कुछ ट्रक एसोसिएशनों की हड़ताल मंगलवार को दूसरे दिन में प्रवेश कर गई है, जिससे लगभग 2,000 पेट्रोल पंपों, ज्यादातर पश्चिमी और उत्तरी भारत में, ईंधन स्टॉक खत्म हो गया है।

उद्योग के अधिकारियों ने कहा कि जहां सरकारी स्वामित्व वाली तेल कंपनियों ने ट्रक ड्राइवरों की हड़ताल की आशंका में देश भर के अधिकांश पेट्रोल पंपों पर टैंक भर दिए थे, वहीं राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और पंजाब के कुछ पेट्रोल पंपों पर भारी भीड़ के कारण स्टॉक खत्म हो गया।


 अगर तीन दिन की हड़ताल बढ़ती है या अखिल भारतीय आंदोलन शुरू होता है तो सब्जियों, फलों और दूध की आवश्यक आपूर्ति भी प्रभावित हो सकती है।


 

 हिट-एंड-रन मामलों के लिए नए आपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के तहत सख्त जेल और जुर्माना नियमों के खिलाफ कुछ ट्रक, बस और टैंकर ऑपरेटरों ने सोमवार को तीन दिवसीय हड़ताल शुरू की।

 ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन - ट्रक ऑपरेटरों की प्रमुख संस्था - ने अब तक राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान नहीं किया है और इसके प्रतिनिधि बीएनएस के बारे में अपनी चिंताओं को उठाने के लिए गृह मंत्रालय के अधिकारियों से मिलेंगे।


औपनिवेशिक युग के भारतीय दंड संहिता की जगह लेने वाले भारतीय न्याय संहिता (BNS) में प्रावधान है कि लापरवाही से गाड़ी चलाकर गंभीर सड़क दुर्घटना का कारण बनने वाले और पुलिस या प्रशासन के किसी भी अधिकारी को बगैर बताए भागने वाले ड्राइवरों को 10 साल तक की सजा या सात लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।

पेट्रोल पंपों पर नई सप्लाई कल से बंद  


 इस कानून के विरोध में शुरू हुए हड़ताल का असर लखनऊ में भी देखने को मिल रहा है। पेट्रोल-डीजल एसोसिएशन (Petrol-Diesel Association), लखनऊ के अध्यक्ष (President) और उप्र पेट्रोल ट्रेडर्स एसोसिएशन (Uttar Pradesh Petrol Traders Association) के उपाध्यक्ष (Vice President) दयाशंकर सिंह ने मंगलवार को पत्रकारों को बताया, ''पेट्रोल पंपों पर नई सप्लाई कल से बंद है, सप्लाई हो नहीं पा रही है, क्योंकि ट्रांसपोर्टर हड़ताल पर थे।




हड़ताल की वजह से जो टैंक पेट्रोल पंपों को पेट्रोल-डीजल की आपूर्ति करते हैं, वे भी हड़ताल में शामिल हैं, इसलिए सप्लाई नहीं हो पा रही है और उनका पहिया जाम है।''



बुधवार दोपहर तक पेट्रोल पंपों पर स्टॉक एकदम खत्म हो जाने का अनुमान लगाते हुए दयाशंकर सिंह ने बताया, ''हड़ताल का ऐलान होने से पहले पंपों पर जितना स्‍टोर करने की क्षमता थी, वह स्‍टोर किया जा रहा है।

जो बहुत ज़्यादा पेट्रोल बेचते थे, उनके यहां तो खत्म होने की स्थिति में है। जो कम से कम बिक्री करते हैं वहां पर लंबी लंबी लाइनें लग गई हैं। वहां पर लोग अपनी टंकी फुल कराने के लिए लाइनों में लगे हैं और संकट को देखते हुए हर कोई टंकी फुल कराने पर जोर दे रहा है।''

उन्होंने कहा कि अभी जिन पंपों पर मिल रहा है, वहां भी कल (बुधवार) दोपहर तक पेट्रोल डीजल मिल पाएगा लेकिन कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं हुई तो फिर किल्लत हो जाएगी।''

लखनऊ के खरगापुर स्थित एक पेट्रोल पंप पर अपनी गाड़ी की टंकी पेट्रोल से फुल कराते गोमती नगर विस्तार के रहने वाले राम नारायण सिंह ने बताया कि ''कल सुबह ही मुझे बलिया जाना है और दो घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद मैं तेल भरवाने में कामयाब हो पाया हूं।'' राजधानी में हजरतगंज से लेकर तमाम इलाकों में पेट्रोल पंपों पर लंबी लंबी कतारें देखी गई।


 उद्योग के अधिकारियों ने कहा कि ज्यादातर पेट्रोल पंपों पर 2-3 दिनों तक का स्टॉक है और अगर हड़ताल बताए गए तीन दिनों तक चलती है तो कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा, हालांकि, अगर हड़ताल को बढ़ाया गया या अखिल भारतीय विरोध प्रदर्शन बुलाया गया तो परेशानी होगी।

 लगभग 1 लाख ट्रक हैं जो तेल कंपनी डिपो से पेट्रोल पंप और गैस वितरण एजेंसियों तक पेट्रोल और डीजल के साथ-साथ एलपीजी भी पहुंचाते हैं।

 उन्होंने कहा कि हड़ताल से कुछ पश्चिमी और उत्तरी राज्यों में ट्रकों की आवाजाही प्रभावित हुई है, साथ ही कुछ एलपीजी ट्रकों की आवाजाही भी प्रभावित हुई है।



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